शुक्रवार, 5 जून 2020

कबीर साहेब प्रकट दिवस (Kabir Saheb Manifest Day)

वेदो मे लिखा हुआ है कि पूर्ण परमात्मा सशरीर प्रकट होता है ऐसी ही लीला कबीर साहिब जी ने सन 1398 मे की थी। परमेश्वर कबीर साहिब जी सतलोक से चलकर लहरतारा तालाब मे कमल के फूल पर विराजमान हुए। परमेश्वर की इस लीला को अष्टानन्द ऋषि ने देखा था।


जब परमेश्वर कबीर साहिब जी शिशु रूप में अवतरित हुए तो उनका नामकरण करने के लिए काजी आए तो कबीर साहिब जी ने उनके सामने लीला करते हुए पूरी कुरान में कबीर-कबीर शब्द लिखा मिला तथा परमेश्वर कबीर साहिब जी ने कहा मेरा नाम कबीर ही रहेगा।


जब कबीर साहेब जी वेदो मे वर्णित परमेश्वर की लीला के अनुसार काशी शहर में प्रकट हुए तो उनको देखने के लिए लोग उमड़ पड़े तथा कोई उन्हें ब्रह्मा,विष्णु तथा महेश आदि का अवतार बताने लगे लेकिन वास्तव में तो कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा है।


वेदों में पूर्ण परमात्मा की महिमा ने लिखा हुआ है कि जब पूर्ण परमात्मा पृथ्वी पर प्रकट होता है तो कुंवारी गायों का दूध पीता है ऐसी लीला परमेश्वर कबीर साहिब जी ने की है अतः कबीर साहिब जी ही पूर्ण परमात्मा है।

परमेश्वर कबीर साहिब जी ने स्वामी रामानंद जी को दो समरूप बनाकर दिखाएं थी जिसमें एक स्वरुप में तो कबीर परमेश्वर 5 वर्ष के थे तथा दूसरे स्वरूप में ढाई वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे तथा उन्हें बताया कि मैं ही पूर्ण परमात्मा हूँ।


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