बुधवार, 5 अगस्त 2020

कावड़ यात्रा की सच्चाई

नमस्कार दोस्तों,

भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले सावन के महीने में कावड़ लाते हैं। तथा भगवान शिव पर जल चढ़ाकर अपनी भक्ति को मोक्ष दायक मानकर प्रतिवर्ष इस साधना पर लगे हुए। लेकिन जानने वाली बात यह है कि क्या इस साधना से हमारी मुक्ति हो पाएगी। क्या इस साधना को करने से हमारे सभी दुख दर्द दूर होंगे। क्या इस साधना का कहीं भी प्रमाण है या फिर यह लोक दिखावा है।


इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए अवश्य देखिए साधना TV 7:30 PM से

आप हमारी वेबसाइट पर भी Visit कर सकते है।

बुधवार, 15 जुलाई 2020

नशे से मुक्ति (Addiction addiction)

वर्तमान समय में भारत ही नही अपितु पूरे विश्व में युवा पीढ़ी नशे की आदि होती जा रही है। युवाओ को नशा करने से रोकने के लिए सरकार अनेक प्रयत्न कर रही है। इसके लिए अनेक अभियान चलाए जा रहे है। प्रति वर्ष लाखो करोड़ो के बजट होने के बाद भी कोई अच्छा परिणाम नहीं मिल रहा है। वर्ष दर वर्ष नशे की खपत बढ़ती ही जा रही है। नशे के कारण अनेक रोग होते है। इनमें से कैंसर एक मुख्य रोग है जिसका इलाज बहुत ही कम मात्रा में होता है। और हर साल लाखों लोग इस रोग के कारण मृत्यु को प्राप्त होते जा रहे है। नशे के कारण लाखो परिवार उजड़ जाते है। इसके कारण घरेलू हिंसा में भी लगातार व्रद्धि होती जा रही है।


वर्तमान समय में सरकार के सभी उपाय समाप्त हो चुके है। लेकिन नशे जैसी समस्या का समाधान संत रामपाल जी महाराज कर रहे है। उनके अनुयायी किसी भी प्रकार का नशा नही करते है। तथा एक नशे मुक्त समाज का निर्माण किया जा रहा है।


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बुधवार, 8 जुलाई 2020

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है

दोस्तों आज हम आपको नाग पंचमी के बारे में बताएंगे।
  • आखिर नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?
  • इसके पीछे का क्या कारण है?
  • क्या नाग पंचमी का त्योहार हमें मनाना चाहिए?

नागपंचमी मनाने हेतु एक मत यह भी है कि अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने तपस्या में लीन मैन ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया था। इस पर ऋषि के शिष्य श्रृंगी ऋषि ने क्रोधित होकर शाप दिया कि यही सर्प सात दिनों के पश्चात तुम्हें जीवित होकर डस लेगा। ठीक सात दिनों के पश्चात उसी तक्षक सर्प ने जीवित होकर राजा को डसा।
 

तब क्रोधित होकर राजा परीक्षित के बेटे जन्मजय ने विशाल 'सर्प यज्ञ' किया जिसमें सर्पो की आहुतियां दी। इस यज्ञ को रुकवाने हेतु महर्षि आस्तिक आगे आए। उनका आगे आने का कारण यह था कि महर्षि आस्तिक के पिता आर्य और माता नागवंशी थी। इसी नाते से वे यज्ञ होते देख न देख सके। सर्प यज्ञ रुकवाने, लड़ाई को खत्म करके पुनः अच्छे सबंधों को बनाने हेतु आर्यों ने स्मृति स्वरूप अपने त्योहारों में 'सर्प पूजा' को एक त्यौहार के रूप में मनाने की शुरुआत की। नागवंश से ताल्लुक रखने पर उसे नागपंचमी कहा जाने लगा होगा।

नाग पंचमी का त्योहार मनाना हमारे शास्त्रों के विरुद्ध है और शास्त्रों के विरुद्ध की गई साधना से हमें कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है तो नाग पंचमी का त्यौहार मनाने से भी हमें कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा।

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बुधवार, 24 जून 2020

हमारा रक्षक परमात्मा कौन है (Who is Our Savior Divine)

हमारा रक्षक परमात्मा कौन है?

नमस्कार दोस्तो


  • कभी ना कभी आपके मन में यह ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर वह कौन है जो हर समय हमारी रक्षा करता है?
  • कौन है वह जो हमारी रक्षा करने के लिए हर समय तत्पर रहता है?
  • आखिर इतनी सर्दी गर्मी में भी पशु पक्षियों व आदि जीवो की रक्षा कौन करता है?
  • आखिर कौन है वह परमात्मा जो असमय होने वाली वर्षा, तूफान आदि से हमें बचाता है?

इन सभी प्रश्नों को जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ इस ब्लॉग को आखिर तक पूरा पढ़ें।

जब भी मनुष्य पर संकट आता तो उसकी आत्मा से एक ही पुकार निकलती है कि हे परमात्मा मुझे इस संकट से बचाओ। वह परमात्मा से सहायता प्राप्त करने के लिए जिस भी धर्म को मानता है उसमें प्रचलित साधना को करने लगता है। लेकिन उसको कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। आज आपको इसका कारण प्रमाण सहित बताया जाएगा कि आखिर 

  • क्यों हमारी परमात्मा रक्षा नहीं कर पाता है?
  • क्या हमारे द्वारा की जाने वाली भक्ति विधि गलत है या फिर इसका और ही कोई दूसरा कारण है?

आपको जानकर हैरानी होगी कि हम सब का रक्षक परमात्मा कबीर परमेश्वर है वही हम सब की रक्षा करता है और वही पूजा के योग्य है ऐसा हमारे पवित्र शास्त्रों में लिखा हुआ है।

रक्षक का अर्थ होता है अपने भगत पर किसी भी प्रकार के आने वाले दुख का निवारण करने वाला ऐसा कबीर परमेश्वर ने करके दिखाया तो अब आपको ऐसे ही कुछ प्रमाण दिखाते है।

कबीर परमेश्वर जी ने अपने भगत सम्मन के पुत्र सेउ का कटा हुआ सिर फिर से धड़ पर लगा दिया था और उसे जीवित किया था।


कबीर परमेश्वर जी ने रानी इंद्रमति के पति को 6 महीने का जीवन दान दिया था तथा सत भक्ति करवाकर सतलोक लेकर गए थे।


जिस प्रकार भारत का संविधान तोड़ने वाले को सजा दी जाती है उसी प्रकार परमात्मा का भी एक संविधान है जिसके अंतर्गत चोरी, डकैती, रिश्वतखोरी व अन्य किसी भी प्रकार का अपराध करने पर परमात्मा के संविधान के अनुसार उसे सजा दी जाती है। जिसका जीता जागता उदाहरण आज की दुनिया देख रही है कहीं पर टिड्डियों ने अपना आतंक मचा रखा है तो कहीं कोरोना वायरस विकराल रूप धारण किए हुए हैं।


हम सब का रक्षक कबीर परमेश्वर है ऐसा हम नही कह रहे बल्कि ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में लिखा हुआ है। परमात्मा अपने भक्तों के सभी पाप कर्मों को काट सकता है यदि भगत की मृत्यु भी हो गई हो तो उसे जीवन दान प्रदान कर सकता है।


कबीर परमेश्वर अपने भगत की आयु बढ़ा सकता है। ऐसा ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 व ऋग्वेद मंडल 09 सूक्त 80 मंत्र 2 में लिखा हुआ है।


पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब अपने भगत के किसी भी प्रकार के रोग हो काट सकता है। ऐसी ही लिला जब कबीर परमेश्वर त्रेता युग में मुनींद्र ऋषि के रूप में पृथ्वी पर आए हुए थे तो उन्होंने नल और नील के असाध्य रोग को ठीक किया था।


वर्तमान समय में कैंसर, एड्स और कोरोना वायरस जैसी भयंकर बीमारियां फैली हुई है जिसका डॉक्टरों के पास कोई इलाज नहीं है। लेकिन हमारे पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में प्रमाण है कि परमात्मा हमारे पाप कर्म को काट सकता है और यह बीमारियां मनुष्य के पाप कर्म के कारण ही होती है।


पवित्र यजुर्वेद के अध्याय 8 मंत्र नंबर 13 में प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर हमारे सभी पाप कर्मों को काट सकता है। और हमें सुखी कर सकता है।


ऊपर दिए कि सभी प्रमाणों को देखकर आपको यकीन हो गया होगा कि कबीर परमेश्वर ही पूर्ण परमात्मा है लेकिन वर्तमान समय में बहुत सारे कबीर पंथ बने हुए है। इनमे से असली और नकली का कैसे पता करें यह आपके मन में जरूर प्रश्न आता होगा लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि संत रामपाल जी महाराज ने सभी शास्त्रों में कबीर जी को भगवान बताया है जबकि अन्य सभी तो उनको संत मानते हैं इसलिए वे सभी नकली है और संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत है इनके द्वारा बताई गयी। भक्ति साधना करने से ही आपको परमेश्वर का यथार्थ लाभ प्राप्त होगा।

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बुधवार, 17 जून 2020

Janmashtami Special

Janmashtami Special


जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया। कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और इस दिन भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। भगत इस दिन उपवास रखते है। भगवान कृष्ण की आरती के साथ भक्त अपना उपवास खोलते है। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।

सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि श्री कृष्ण जी बैकुंठ लोक में रहते हैं तथा भगवान विष्णु के अवतार है। भगवान विष्णु जी देवी पुराण में देवी जी को कहते हैं कि मेरी भी जन्म मृत्यु होती है। जिससे सिद्ध होता है कि श्री कृष्ण जी भी जन्म मृत्यु में है। जबकि कबीर परमेश्वर अजर-अमर है अविनाशी है उनकी जन्म-मृत्यु नहीं होती है तथा सतलोक में तख्त पर विराजमान है।


सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि भगवान श्री कृष्ण महाभारत का युद्ध नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने कई बार शांतिदूत बनकर दुर्योधन को समझाने की कोशिश की थी और वे चाहते हुए भी महाभारत का युद्ध नहीं रोक पाए थे जबकि कबीर परमेश्वर ने जब अपनी लीला पूर्ण कि तथा जब वे अपना शरीर छोड़कर अपने निजधाम सतलोक जाने वाले थे तब हिंदू और मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार को लेकर युद्ध जैसे हालात हो गए थे। कबीर परमेश्वर ने उन हालातों को समाप्त किया था।


भगत ऐसा भी कहते हैं कि श्री कृष्ण जी जब बांसुरी बजाते थे तो आस-पास की गायें व गोपिया उनके पीछे चली आती थी लेकिन जब कबीर परमेश्वर जी ने यमुना के किनारे बांसुरी बजाई थी तो यमुना का पानी भी रुक गया था सभी देवता, पशु-पक्षी उस बांसुरी की आवाज सुनने के लिए वहां पहुंचे थे।


सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि श्री कृष्ण जी सिर्फ 16 कलाओं के भगवान है लेकिन कबीर परमेश्वर जी असंख्य कला के भगवान हैं।


सभी श्री कृष्ण जी को त्रिलोकीनाथ कहते हैं जबकि कबीर परमेश्वर असंख्य ब्रह्मांड के स्वामी है जिसके कारण उन्हें वेदों में वासुदेव कहा गया है।


महाभारत के युद्ध के समय अभिमन्यु जोकि अर्जुन का पुत्र तथा भगवान श्री कृष्ण का भांजा था उसकी मृत्यु हो गई थी। श्री कृष्ण जी उसे जीवित नहीं कर पाए थे जबकि भगवान कबीर साहिब ने कमाल और कमाली नाम के दो मृत बालक व बालिकाओं को जीवित किया था।


सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि श्री कृष्ण जी की परवरिश बचपन से गाय के दूध व माखन से हुई है। लेकिन कबीर परमेश्वर जी की परवरिश कुंवारी गायों के दूध से हुई है जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है।


श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में वर्णन किया है कि पूर्ण परमात्मा सभी को सुख देने वाला अजर-अमर कोई और है उसकी शरण में जा अर्जुन वही तुम्हें सभी सुख दे सकता है जिससे सिद्ध होता है कि श्री कृष्ण जी हमें सभी सुख नहीं दे सकते कबीर परमात्मा जी ही पूर्ण ब्रह्म व अविनाशी है। जो हमें सर्व सुख प्रदान कर सकते हैं।


श्रीमद्भागवत गीता में उपवास करना मना किया गया है। तो हमे इस साधना से कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।

आपको ऊपर दोनों भगवानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है अब आपको चाहिए कि आप सही को पहचाने और अपने शास्त्रों के अनुसार सही भगवान की भक्ति करें जिससे हमें सुख प्राप्त हो और हम अपने निजधाम सतलोक को जा सके।


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बुधवार, 10 जून 2020

बाइबल के अद्भुत रहस्य (Amazing Bible Secrets)

बाइबल के अद्भुत रहस्य


पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रंथ page 2 अ. 1:20-2:5 तक प्रमाण है कि परमात्मा साकार है। तथा 6 दिन में सृष्टि रच कर सातवें दिन विश्राम किया।


पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रंथ अ. 1:29 में प्रमाण है कि परमात्मा मनुष्य जैसा है व सम्पूर्ण सृष्टि का रचनहार है। तथा मंशा खाने का आदेश नही दिया।


पवित्र बाइबिल के यूहन्ना ग्रन्थ 16:4-15 में प्रमाण है कि काल अर्थात ब्रह्म पूण्य आत्माओ को अपना रसूल अर्थात अवतार बनाकर भेजता है तथा उनके द्वारा किये गये चमत्कारों के द्वारा उनकी भक्ति को नष्ट करवाता है।


पवित्र बाइबिल के OBJ 36:5 में प्रमाण है कि कबीर साहेब ही हमारा भगवान है। वही हम सब का पालनहार व सर्वशक्तिमान है। हम सभी कबीर परमात्मा की ही संतान (आत्मा) है।


पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रंथ page 2 अ. 1:20-2:5 तक प्रमाण है कि परमात्मा साकार है। परमात्मा मनुष्य के समान से सशरीर है।


मत्ती 26:24-55 पृष्ठ 42-44 पर स्वयं ईसा जी अपनी मृत्यु के बारे में बता रहे है। जिससे सिद्ध होता है कि उनकी मृत्यु पूर्व निर्धारित थी। जिसे वे चेंज नही कर सके।


पवित्र बाइबल के उत्पत्ति 1:29 में परमात्मा ने मांस खाने का आदेश नहीं दिया जबकि ईसाई धर्म में मांस खाना आम बात है जो कि परमात्मा के विधान के विरुद्ध है।


पवित्र बाइबल के यूहन्ना 9:1-34 में यीशु एक अंधे व्यक्ति को स्वस्थ किया था। और कहा कि इसका कोई पाप नहीं है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परमात्मा की महिमा प्रकट करनी है। जिससे सिद्ध होता है कि यीशु पूर्ण परमात्मा नहीं है पूर्ण परमात्मा तो कोई और है।


बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ अध्याय 18:1-10 व 19:1-25 में तीन प्रभुओ का वर्णन है।


पवित्र बाइबल शमूएल नामक अध्याय 16:14-23 में लिखा है कि आखिर किस प्रकार इस लोक में प्रभु की महिमा होती है।


ईसाई धर्म में एक से अधिक प्रभु है व प्रभु साकार है।


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मंगलवार, 9 जून 2020

Allha Kabir

पवित्र कुरान सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत नं. 58 में स्पष्ट लिखा है कि
उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पवित्र महिमा का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह पूजा के योग्य है तथा सर्व पापों को विनाश करने वाला है।


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कावड़ यात्रा की सच्चाई

नमस्कार दोस्तों, भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले सावन के महीने में कावड़ लाते हैं। तथा भगवान शिव पर जल चढ़ाकर अपनी भक्ति को मोक्ष दायक मान...