बुधवार, 17 जून 2020

Janmashtami Special

Janmashtami Special


जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया। कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और इस दिन भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। भगत इस दिन उपवास रखते है। भगवान कृष्ण की आरती के साथ भक्त अपना उपवास खोलते है। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।

सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि श्री कृष्ण जी बैकुंठ लोक में रहते हैं तथा भगवान विष्णु के अवतार है। भगवान विष्णु जी देवी पुराण में देवी जी को कहते हैं कि मेरी भी जन्म मृत्यु होती है। जिससे सिद्ध होता है कि श्री कृष्ण जी भी जन्म मृत्यु में है। जबकि कबीर परमेश्वर अजर-अमर है अविनाशी है उनकी जन्म-मृत्यु नहीं होती है तथा सतलोक में तख्त पर विराजमान है।


सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि भगवान श्री कृष्ण महाभारत का युद्ध नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने कई बार शांतिदूत बनकर दुर्योधन को समझाने की कोशिश की थी और वे चाहते हुए भी महाभारत का युद्ध नहीं रोक पाए थे जबकि कबीर परमेश्वर ने जब अपनी लीला पूर्ण कि तथा जब वे अपना शरीर छोड़कर अपने निजधाम सतलोक जाने वाले थे तब हिंदू और मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार को लेकर युद्ध जैसे हालात हो गए थे। कबीर परमेश्वर ने उन हालातों को समाप्त किया था।


भगत ऐसा भी कहते हैं कि श्री कृष्ण जी जब बांसुरी बजाते थे तो आस-पास की गायें व गोपिया उनके पीछे चली आती थी लेकिन जब कबीर परमेश्वर जी ने यमुना के किनारे बांसुरी बजाई थी तो यमुना का पानी भी रुक गया था सभी देवता, पशु-पक्षी उस बांसुरी की आवाज सुनने के लिए वहां पहुंचे थे।


सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि श्री कृष्ण जी सिर्फ 16 कलाओं के भगवान है लेकिन कबीर परमेश्वर जी असंख्य कला के भगवान हैं।


सभी श्री कृष्ण जी को त्रिलोकीनाथ कहते हैं जबकि कबीर परमेश्वर असंख्य ब्रह्मांड के स्वामी है जिसके कारण उन्हें वेदों में वासुदेव कहा गया है।


महाभारत के युद्ध के समय अभिमन्यु जोकि अर्जुन का पुत्र तथा भगवान श्री कृष्ण का भांजा था उसकी मृत्यु हो गई थी। श्री कृष्ण जी उसे जीवित नहीं कर पाए थे जबकि भगवान कबीर साहिब ने कमाल और कमाली नाम के दो मृत बालक व बालिकाओं को जीवित किया था।


सभी भक्तों आत्माओं को पता है कि श्री कृष्ण जी की परवरिश बचपन से गाय के दूध व माखन से हुई है। लेकिन कबीर परमेश्वर जी की परवरिश कुंवारी गायों के दूध से हुई है जैसा कि हमारे वेदों में वर्णित है।


श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में वर्णन किया है कि पूर्ण परमात्मा सभी को सुख देने वाला अजर-अमर कोई और है उसकी शरण में जा अर्जुन वही तुम्हें सभी सुख दे सकता है जिससे सिद्ध होता है कि श्री कृष्ण जी हमें सभी सुख नहीं दे सकते कबीर परमात्मा जी ही पूर्ण ब्रह्म व अविनाशी है। जो हमें सर्व सुख प्रदान कर सकते हैं।


श्रीमद्भागवत गीता में उपवास करना मना किया गया है। तो हमे इस साधना से कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।

आपको ऊपर दोनों भगवानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है अब आपको चाहिए कि आप सही को पहचाने और अपने शास्त्रों के अनुसार सही भगवान की भक्ति करें जिससे हमें सुख प्राप्त हो और हम अपने निजधाम सतलोक को जा सके।


अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखे साधना Tv 7:30 PM से
आप हमारी वेबसाइट पर भी Visit कर सकते है।

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